लड़की हंसती है
हंसी से दोहरी होती है
क्योंकि उसके आंचल में
मखमली रोओं वाली
नीली आंखों की चमक लिए
बालपन की बिल्ली खेल रही है
लड़की रोती है।
जार-बेजार
क्योंकि उसके सीने में
धड़कता हुआ दिल है
जिसे किसी बेरहम ने
प्यार-प्रवंचना की क्रूरता से खरोंचा है
अब वह लड़की
असमर्थता की बैसाखियों पर चलती
दिन रात पलकें भिंगोती है
न हंसती है
न रोती है
खालीपन-पतझर में
वृंतहीन फूल की पीली पंखुड़ी बन
समय की धूल में मिलने के लिए
निजता खोती।
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