कुछ विचार-चिन्तन
धर्म हो, राजनीति अथवा साहित्यगाली गलौज, व्यक्तिगत छीछालेदर
चरित्रहनन स्वस्थ मानव-चिन्तन नहीं हो सकता
ना ही किसी सभ्य देश जाति की
संस्कृति हो सकती है।
यह व्यक्तिगत आजादी के विरुद्ध है।
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मानसिक यातना के हालात पैदा करना भी
आतंकवाद का ही एक रूप है।
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यह नहीं है कि
कोई भी निजी आक्रोशवश
किसी भी व्यक्ति का अपमान उपहास करे,
मानमर्दन करे, छिछले स्तर की टीका टिप्पणी करे
यह नैतिकता के विरुद्ध है।
यह मानसिक आतंकवाद का युद्ध है।
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हमारी आर्य संस्कृति, नैतिकता, अध्यात्मवाद के
सत्यम सुन्दरम शिवम्,
विचार चिंतन के कारण ही भारत
आज भी विश्व में सर्वश्रेष्ठ तथा अनुकर्णीय है।
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देश में धार्मिक, राजनैतिक, साहित्य-मंच पर
चोटिल, असंस्कृत,
अनियंत्रित मनचले प्रहसन-संवाद से
देश की संवेदनात्मक
आजादी (Sentimental Liberty) खतरे में है
यह सिलसिला देश को विखराव के रास्ते पर ले जाएगा।
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को ले डूबेगा।
ऐसी बचकानी हरकतें बन्द होनी चाहिए।
स्वस्थ दिमाग से ही किसी भी देश में
आदर्श सुसंस्कृत और सभ्य
समाज का निर्माण होता है
जिसमें धर्म, राजनीति, साहित्य फलते-फूलते हैं
दुनिया में ऐसे देश के नागरिक प्रबुद्ध होते हैं।
-स्वदेश भारती
28-10-2017
उत्तरायण
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