तुम निचले तबके से उठ कर
कलात्मक अभिनय की सीढ़ियां चढ़ते गए
और ऊंचाई पर अपने को स्थापित किया।
हिन्दी सिनेमा को अत्यधिक जनप्रिय प्रभावशाली, विश्वजयी बनाया
88 वर्षों तक भारतीय हिन्दी सिनेमा के
दर्शकों पर छाए रहे
और आज अपने देश की धरती से दूर
विलायत में तुम्हारी सांसों के पंख पखेरू उड़ गए
जीवन के अंतिम क्षण में अनन्त से जुड़ गए
तुम्हें मेरा शत-शत प्रणाम। हार्दिक श्रद्धांजलि।
जीत का अंतिम चरण बस क्षय है
सभी मानव जीवन-मरण का अंतिम पड़ाव, अनन्त समय है।
कलात्मक अभिनय की सीढ़ियां चढ़ते गए
और ऊंचाई पर अपने को स्थापित किया।
हिन्दी सिनेमा को अत्यधिक जनप्रिय प्रभावशाली, विश्वजयी बनाया
88 वर्षों तक भारतीय हिन्दी सिनेमा के
दर्शकों पर छाए रहे
और आज अपने देश की धरती से दूर
विलायत में तुम्हारी सांसों के पंख पखेरू उड़ गए
जीवन के अंतिम क्षण में अनन्त से जुड़ गए
तुम्हें मेरा शत-शत प्रणाम। हार्दिक श्रद्धांजलि।
जीत का अंतिम चरण बस क्षय है
सभी मानव जीवन-मरण का अंतिम पड़ाव, अनन्त समय है।
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