Wednesday 27 December 2017

जन-हित-चिन्तन


धर्म, राजनीति और विज्ञान ने सारी दुनिया में नए रूपों में उभर कर मानवता के लिए भयानक भय, आतंक, संत्रास, जातिवाद, असहिष्णुता और आत्मनिर्वासन की स्थिति पैदा कर दिया है। यह बहुत चिन्ता का विषय है। 

आदमी अपनी अस्मिता, अपने वजूद को सुरक्षित रख पाने में असमर्थ है। इससे संस्कृति पर उल्टा प्रभाव पड़ रहा है। सभ्यता के मानदंड और मानवमूल्य नष्ट हो रहे हैं।

सभी राजनैतिक दलों, पार्टियों, शासनाध्यक्षों, मठाधीशों, पुजारियों, धर्माध्यक्षों, वैज्ञानिकों, बुद्धिजीवियों को आत्मचिन्तन करना है और मानवता के कल्याण के लिए अपनी सोच और कार्यप्रणाली को बदलना है। 


                                                                            -स्वदेश भारती

उत्तरायण
कोलकाता
28 दिसंबर 2017


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