दीपावली की ज्योति-मल्लिका
भर दे जीवन में
आलोक भरा स्नेह, प्यार की सुनहरी भोर
और हो आकांक्षा का विस्तार
चलते जाए आगे और आगे
विजय-यात्रा-पथ पर मंजिल की ओर...! - स्वदेश भारती
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (13.11.2015) को "इंसानियत का धर्म"(चर्चा अंक-2159) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (13.11.2015) को "इंसानियत का धर्म"(चर्चा अंक-2159) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!