सुनो नेतागण सुनो!
पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध 70 वर्षों से ऐसे हैं कि हंसब ठठाय, फुलाउब गालू ठठाकर हंसें या गाल फुलाएं, मलाल करें। कितने सुरक्षाकर्मी, बहादुर फौजी शहीद हो गए। फिर भी हमारी ढुलमुल नीतियां जैसी की तैसी बनी रहीं। आजाद हिन्दुस्तान की नई पीढ़ी तथा इंटलेक्चुअल इन नरात्मक नीतियों से अत्यधिक त्रस्त और निराश है। देश का आन बान शान झूठी दोस्ती, गलत वायदों, आतंक और सीमा पार से लगातार हो रही फायरिंग और देश के रखवालों के खून से रंगी कहानी हमारे देश की बदनशीबी बयान कर रही है।
कौन सुनेगा? इस महान देश की अंतर्रव्यथा को? शायद कोई देश की अस्मिता का रखवाला आए, हम प्रतीक्षा में हैं...।
- स्वदेश भारती
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